श्री गिरिराज सिंह
कपड़ा मंत्री
श्री पबित्रा मरघेरिटा
माननीय कपड़ा और विदेश राज्य मंत्री
हमारा उद्देश्य
हथकरघा क्षेत्र और टिकाऊ कपड़े के संवर्धन और विकास के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी बनना।
सभी हथकरघा हितधारकों के लिए इनपुट आपूर्ति, डिजाइनरों के साथ संपर्क, भौगोलिक संकेत के माध्यम से विरासत के संरक्षण और निर्यात बाजारों सहित बाजार संपर्कों के माध्यम से अपनी क्षमता का एहसास करने और टिकाऊ कपड़े को बढ़ावा देने के लिए एक सक्षम और सुविधाजनक एजेंसी बनना।
नई अपनाई गई लोगो में निगम के नाम के प्रारंभिक अक्षर देवनागरी और अंग्रेज़ी में हैं, जो भारत की विविध हथकरघा शैलियों की पृष्ठभूमि पर आधारित हैं। यह लोगो दर्शाता है कि एनएचडीसी भारत की सुंदर बुनाई परंपराओं से घिरा हुआ है, जिन्हें संरक्षित, पोषित और प्रोत्साहित करना इसका संकल्प है।
"तंत्रिका" शब्द संस्कृत के "तंत्र" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "करघा" या "तानना"। यह नाम जटिलता और शिल्प कौशल का प्रतीक है। एनएचडीसी ने इसे अपने उन सभी कार्यों के लिए ब्रांड पहचान के रूप में चुना है जो यार्न और डाई-रासायनिक बिक्री से संबंधित नहीं हैं। यह ब्रांड भारतीय हथकरघा और हस्तशिल्प की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है। तंत्रिका के अंतर्गत देशभर के कारीगरों और बुनकरों से सीधे प्राप्त किए गए प्रामाणिक और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत की जाती है। तंत्रिका के माध्यम से एनएचडीसी पारंपरिक कारीगरों और उपभोक्ताओं के बीच एक सीधा बाजार संपर्क स्थापित करना चाहता है, जिससे निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित हो सके और देशी वस्त्र परंपराओं की दृश्यता व पहुंच में वृद्धि हो।
हमारी विरासत
भारत का हथकरघा उद्योग परंपरा, संस्कृति और शिल्प कौशल का प्रतीक है। हर क्षेत्र में बनारसी रेशम (उत्तर प्रदेश) से लेकर कंजीवरम साड़ी (तमिलनाडु) तक अद्वितीय बुनाई शैलियाँ हैं। यह क्षेत्र लाखों कारीगरों को जीविका प्रदान करता है, सदियों पुरानी तकनीकों को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास को गति देता है।
भारतीय हथकरघा की समृद्ध विरासत को हमारी संकलित गैलरी के माध्यम से अनुभव करें। जटिल बुनाई से लेकर जीवंत रंगों तक, प्रत्येक तस्वीर शिल्पकला, परंपरा और समर्पण की कहानी कहती है। हर धागे के पीछे की कलाकारी को देखें और उन हस्तनिर्मित वस्त्रों की सुंदरता को जानें जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को परिभाषित करते हैं।
मास्टर बुनकरों, कारीगरों, उद्यमियों और उद्योग के नेताओं से सुनें जिन्होंने एनएचडीसी की हथकरघा विकास पहलों के परिवर्तनकारी प्रभाव का अनुभव किया है।
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अंतिम समीक्षा और अद्यतन: 15 अगस्त 2025
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